मुस्लिम भाई-बहनों के समर्थन में
हिंदू होने के नाते हमें बताया जाता है कि संसार के कण-कण में, हर जीव में परमात्मा का वास है. इसका अर्थ है कि हम सभी जीवों का मान-सम्मान करें और उनके प्रति अहिंसा और करुणा का पालन करें.
दुखद है कि जब यह पत्र लिखा जा रहा है, तब भारत में मुस्लिम भाई-बहनों के खिलाफ हिंसा लगातार बढ़ रही है और यह हिंसा हमारे धर्म के नाम पर की जा रही है.
हम उस हिंदू धर्म के मानने वाले हैं जिसकी परंपराएं और मान्यताएं विविधता और विशाल इतिहास की देन हैं. इसलिए यह देखकर और दुख होता है कि भारत और विदेशों में रहने वाले हिंदू नेता खुलेआम हिंदुत्व को बढ़ावा दे रहे हैं जो सिर्फ एक सदी पुराना राजनीतिक विचार है, जो अन्य धर्मों के मानने वाले नागरिकों को विदेशी कहता है और दोयम दर्जे का भारतीय नागरिक मानता है. दिसंबर 2021 में भगवा वस्त्र पहने कथित साधू-साध्वियों और स्वयंभू स्वामियों ने खुलेआम भारत के करोड़ों मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान किया. उन तस्वीरों और वीडियो को देखकर सिहरन होती है. इस सिहरन को, और ऐसे आह्वानों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
हरिद्वार में हुई उस कथित ‘धर्म संसद’ के बाद से हमने देखा है कि कैसे कुछ कॉलेज छात्रों ने ऐप बनाया और मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें नीलामी के लिए उस पर पोस्ट की. हमने देखा कि कर्नाटक में हिजाब पहनने वालीं मुस्लिम लड़कियों का शिक्षा का अधिकार छीना गया.
अब वक्त आ गया है, बल्कि देर हो चुकी है कि दुनियाभर में रहने वाले हिंदू अपनी सामूहिक चुप्पी तोड़ें और इस नफरत के खिलाफ आवाज उठाएं क्योंकि यह हमारी परंपराओं द्वारा दी गईं शिक्षाओं का बेशर्म उल्लंघन है.
कुछ लोग कह सकते हैं कई देशों में हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं और हम भारतीय मुसलमानों की बात कर रहे हैं. हमारा जवाब स्पष्ट हैः पूरे दक्षिण एशिया में हिंसा का यह दुष्चक्र तोड़ने का एकमात्र तरीका है कि हम एक-दूसरे के पूरे सम्मान के साथ जीने के अधिकार के लिए खड़े हों. पाकिस्तान और बांग्लादेश, या किसी भी अन्य देश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के नाम पर भारत में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा को जायज नहीं ठहराया जा सकता.
इस पत्र पर हस्ताक्षर कर हम शपथ लेते हैं कि -
- अपने आसपास मुस्लिम-विरोधी बातें सुनेंगे या गतिविधियां होते देखेंगे तो आवाज उठाएंगे.
- अपने मुस्लिम पड़ोसियों, नेताओं और संस्थाओं से रिश्ते मजबूत करेंगे.
- अपने मंदिरों और घरों के दरवाजे सबके लिए खुले रखेंगे, फिर चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों ना हों.
- धार्मिक आजादी और सबके लिए न्याय सिखाने वाली अपनी उन परंपराओं को पूरी निष्ठा से निभाएंगे जो धार्मिक राष्ट्रवाद, जातिवाद और अन्य धर्मों के मानने वालों के प्रति नफरत जैसी चीजों को चुनौती देती हैं.
ओम शांति, शांति, शांति