श्री तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय-4 
class   21 
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1 . ऊपर-ऊपर के देवों में सुख की अधिकता होते जाने के कारण उनका अभिमान भी ज्यादा हो जाता है । यह कथन -


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2 . मनुष्य या तिर्यंच ही देवों में उत्पन्न हो सकते हैं।


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3. इनमें से कौन देवों में उत्पन्न नहीं होगा ?
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4 . असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच की उत्पत्ति कौनसे देवों में होगी ?
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5 . मिथ्यादृष्टि मनुष्य 16 वें स्वर्ग में जा सकता है ।
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6 . असंज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तक तिर्यंच और सम्यग्दृष्टि मनुष्य ज्योतिष देवों में उत्पन्न नहीं होते ।


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7 . पहले गुणस्थान वाले पंचेन्द्रिय तिर्यंच भी 1 2 वें स्वर्ग तक जा सकते हैं और चौथे गुणस्थान वाले भी ।


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8 . देश संयमी तिर्यंच 16 वें स्वर्ग में जाता है , उससे नीचे के स्वर्गों में नहीं ।


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9 . महाव्रत धारण किये बिना 16 वें स्वर्ग से ऊपर नहीं जा सकते।


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10 . सम्यग्दृष्टि भोगभूमिज कौनसे स्वर्ग तक जा सकते हैं ?


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11 . सोलहवें स्वर्ग से ऊपर कौन -कौन जा सकता है?
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12 . देव मरकर क्या -क्या बन सकते है?
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13 . देव मरकर क्या - क्या नहीं बनते ?


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14 . देव मरकर के सूक्ष्म व बादर जलकायिक दोनों बन सकते हैं।


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1 5 . एकेन्द्रियों में वे ही देव उत्पन्न हो सकते हैं जो -


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16 . ग्रैवेयकों में उत्पन्न होने वाले देव पूर्व भव में


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17 . कोई कौनसे स्वर्ग का देव बनेगा यह किस पर निर्भर करता है?


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18 . इनमें से कौनसे संहनन वाला ग्रैवेयकों में उत्पन्न हो सकता है?

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19. मिथ्यादृष्टि तथा पंचेन्द्रिय पर्याप्तक तिर्यंच 1 2 वें स्वर्ग तक जा सकता है किन्तु सम्यग्दृष्टि पंचेन्द्रिय पर्याप्तक नहीं जाता ।


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