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प्रेम वाहिनी (पुनर्स्मरण) - अध्याय - 25 & 26 प्रश्नावली
ॐ श्री साईं राम!
क्विज (प्रश्नोत्तरी)- प्रेम वाहिनी (पुनर्स्मरण) - प्रश्नावली
प्रिय साईं परिवार सदस्य, सप्रेम साईंराम! सारे भक्त/साधकों से , जो वाहिनी पारायण कर रहे हैं, अनुरोध है कि क्विज के द्वारा अपनी प्रज्ञा को पुनः तरोताजा कर लें। -श्री सत्या साईं वाहिनी पारायण टीम - हेल्पलाइन --
23nov1926@gmail.com
/ WhatsApp 9440896720
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1. भक्त भगवान के समीप,व्यावधान खोकर उन्हीं की उपस्थिति में उसी स्थान में रहने लगता है। इस स्थिति को कौन सी मुक्ति कहते हैं?
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2 points
अ. सामीप्य मुक्ति
ब. सारूप्य मुक्ति
स. सालोक्य मुक्ति
द. कोई मुक्ति नहीं
2. भक्ति शास्त्र का अंतिम फल कौन सी मुक्ति कहलाता है?
*
2 points
अ. सालोक्य मुक्ति
ब. सारूप्य मुक्ति
स. सामीप्य मुक्ति
द.सायुज्य मुक्ति
3. अद्वैत दर्शन सारूप्य मुक्ति को सर्वोच्च स्थिति क्यों नहीं स्वीकार करता है?
*
2 points
अ. भक्त सृष्टि, पालन और लय के अधिकारों से वंचित रहता है।
ब. तीनों के अलावा अनेक अकथनीय शक्तियां केवल भगवान मेही अंतर्निहित है
स. रूप में अंतर नहीं, पर गुण एवं शक्तियों में भारी अंतर
द. तीनों अंतर के कारण सर्वोच्च स्थिति नहीं हो सकती।
4. सही जोड़ी का मिलान करें ---
2 points
अ. सारूप्य मुक्ति --1. निरंतर ईश्वरीय निकटता का अनुभव
ब. सायुज्य मुक्ति--2. दृश्यमान जगत भगवद्महिमा है
स. सालोक्य मुक्ति --3. ईश्वर से एकत्व हो जाना
द. सामीप्य मुक्ति -- 4. सायुज्य मुक्ति
इ.एकांत मुक्ति -- 5.भगवदीय चेतना से भर जाना
क. अ!2!ब!1!स!5!द!3!इ!4!
ख. अ!5!ब!4!स!3!द!2!इ!1!
ग. अ!4!ब!3!स!5!द!1!इ!2!
घ. अ!2!ब!1!स!4!द!5!इ!3!
च. अ!5!ब!3!स!1!द!2!!इ!4!
Other:
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5. सही जोड़ी का मिलान करें ---(अ. 26)
2 points
अ. माया के दो द्वार ---1. इंद्रियों पर विजय जरूरी
ब. दोनों द्वार पर विजयी --2. आत्मसाक्षात्कार लक्ष्य
स. मोक्षकामी- 3. भगवद् सामीप्य प्राप्ति हेतु
द. ईश्वर सेवा हेतु जन्म-- 4. कामेच्छा, स्वाद लोलुपता
इ. समस्त सांसारिक क्रियाएं--5. संसार सागर के पार
क.अ!5! ब!4! स!2! द!3! इ!1!
ख. अ!5! ब!3! स!4! द!1! इ!2!
ग. अ!2! ब!3! स!4! द!5! इ!1!
घ. अ!4! ब!5! स!1! द!2! इ!3!
च. अ!1! ब!2! स!3! द!4! इ!5!
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6. एकाग्र चैतन्यता से, शुद्ध भाव से और अन्य सभी बाह्य विचारों सहित आराधना में लीन होना 'भाव समाधि' कहलाता है। (अ. 25)
*
2 points
अ. सही
ब. गलत
7. समस्त सांसारिक दैनिक क्रियाएं भगवान के प्रति समर्पण की भावना से की जाए।
*
2 points
अ. सही
ब. गलत
8. सभी बुभुक्षाएं,पिपासाएं, सुख-दु:ख, शोक, हानि, कष्ट, क्रोध भगवद् साक्षात्कार की दिशा में आगे बढ़ने हेतु प्रेरणा देते हैं।
*
2 points
अ. सही
ब. गलत
9. ऐंद्रिक भोगेच्छाओं का स्वामित्व स्कूली शिक्षा से प्राप्त हो सकता, क्योंकि वहां तो शरीर रक्षण-पोषण की कलाओं की विधिवत शिक्षा ली जाती है।
*
2 points
अ. सही
ब. गलत
यदि कोई सुझाव हो तो,
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10. मनुष्य चाहे कुछ कार्य करें,उसे नैसर्गिक श्वासोच्छवास की तरह स्वत: अपने पवित्र लक्ष्य और संसार में आने के उद्देश्य पर सतत् विचार करना चाहिए।
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2 points
अ. सही
ब. गलत
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