1. अधोलोक के कुल सात करोड़ बहत्तर लाख अकृत्रिम जिनालय कौनसे भाग तक हैं ?
2. एक लाख अस्सी हज़ार योजन मोटाई किस पृथ्वी की होती है?
3. सातवीं पृथ्वी की मोटाई कितने योजन है?
5. घनोदधि वातवलय किस रंग का होता है?
7. कौनसे वातवलय का रंग नियत नहीं है?
8. शत-सहस्राणि का अर्थ?
12. पहली पृथ्वी में पटलों की संख्या कितनी होती है?
13. सातवीं पृथ्वी में पटलों की संख्या कितनी है?
14. नरक की पृथ्वी के पटलों के बीचों-बीच में कौनसा बिल होता है?
15. पटलों की चारों दिशाओं एवं विदिशाओं में कौन से बिल होते हैं?
18. दूसरे अध्याय में हमने क्या जाना?
19. किस उद्देश्य से तृतीय और चतुर्थ अध्याय का विवरण किया गया है?
20. सुखी जीवों को, सबसे ज्यादा जो दुःखी जीव हैं, (नारकी जीव) उनका वर्णन क्यों सुनना चाहिए?
21. सबसे ऊपर कौन सा लोक होता है?
22. नरक के दुखों का वर्णन सुनकर सम्यग्दृष्टि जीव में किस भाव की वृद्धि होती है?
23. अधोलोक के वर्णन में सर्वप्रथम किसका वर्णन है?
24. नरक में कितनी पृथ्वियाँ हैं?
25. नरक की अंतिम पृथ्वी का नाम क्या है ?
26. घनोदधि, घन और तनु किसके नाम हैं?
27. सातों पृथ्वियों के नीचे स्थित वातवलयों का क्रम बताइये ।
28. “अधो-अधः”का अर्थ है
29. अंधकार की तरह कान्ति किस पृथ्वी में होती है?
30. अधोलोक की सात पृथ्वियाँ कितने राजू क्षेत्र में हैं?
32. इनमें से कहाँ पर त्रस जीव नहीं हैं?
33. रत्नप्रभा पृथ्वी के कितने भाग हैं?
34. अब्बहुल भाग किस पृथ्वी का है?
35. खर भाग किस पृथ्वी का है?
36. पंक भाग किस पृथ्वी का है?
38. पंक भाग की मोटाई कितने योजन है?
39. अब्बहुल भाग की मोटाई कितने योजन है?
40. खर भाग की सबसे पहली भूमि कौनसी है?
41. सम्यग्दृष्टि जीव में कौन कौन से भाव बताये गए हैं?
42. नरक में कौन सा जन्म होता है?
43.नारकियों के उत्पत्ति स्थान बिलों की आकृतियाँ
44. नरक में क्या अच्छा नहीं है?
45.नारकियों की कौन सी लेश्या होती है?
46.पहले नरक से लेकर सातवें नरक तक लेश्याएँ हैं
47.सातवें नरक के नारकियों की लेश्या है
48.नारकियों में निम्न में से अशुभ-अशुभ हैं
50. नरक की ऊपर की चार पृथ्वियों के सभी बिल कैसे हैं?
51. नरक की पाँचवीं पृथ्वी के तीन लाख बिलों में से ऊपर के दो लाख बिल कैसे हैं?
52.नरक की पाँचवी पृथ्वी के तीन लाख बिलों में से नीचे के एक लाख बिल कैसे हैं?
53. नरक की नीचे की दो पृथ्वियों के सभी बिल कैसे हैं?
54.नारकियों को कौन से कष्ट की अधिकता है?
55.नरक गति से अधिक दुःख मनुष्य गति में है।
56.नारकियों का शरीर है