श्री तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय-4 
REVISION CLASS 07
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1.सौधर्म इन्द्र से माहेन्द्र इन्द्र की आयु अधिक है ।


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2 . ऊपर के स्वर्गों में अधिक सुख होता है अपेक्षाकृत नीचे के स्वर्गों के ।


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3. स्वर्गों में उत्तरोत्तर ऊपर जाने पर इनमें से किनकी वृद्धि होती जाती है?
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4 . शुभ लेश्याओं में और भी अधिक शुभता आती है -


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5. जम्बूद्वीप को पलट सकने की शक्ति कितनी आयु वाले देव में होती है?


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6 . पूरे लोक को हिलाने की शक्ति कौनसे देव की होती है?


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7 . गति -शरीर - परिग्रहाभिमानतो हीना : I

इस सूत्र में गति का अर्थ है -


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8. महावीर भगवान के जन्म कल्याणक में कौनसे देव नहीं आये थे ?

पहले-


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9 .युगल स्वर्गों में पहले - पहले के इन्द्र दक्षिणेन्द्र कहलाते हैं और बाद के उत्तरेन्द्र ।
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1 0. नंदीश्वर द्वीप में पूजन करने के लिए ग्रैवेयकों के सम्यग्दृष्टि देव तो जाते हैं किन्तु मिथ्यादृष्टि नहीं।
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11. नरकों में – – - स्वर्ग तक के देवों का आगमन होता है ।


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12. आरण-अच्युत स्वर्ग के देव नरकों में नहीं जाते पर पृथ्वी लोक पर जाते हैं।
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13 .बंद मुट्ठी को क्या कहते हैं?


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14 . भगवान के जन्म कल्याणक पर ऐरावत हाथी पर आने वाले देव की ऊंचाई - - - - अरत्नि होती है ।


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15. बारहवें स्वर्ग तक के देवों की ऊंचाई … .. अरत्नि की रह जाती 

है ।


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16 . तीन अरत्नि प्रमाण अवगाहना वाले देव कौनसे स्वर्ग में रहते हैं?


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17. अधो , मध्य तथा ऊर्ध्व तीनों ग्रैवेयकों में देवों की अवगाहना भिन्न-भिन्न होती है ।
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18. अनुदिशों के देवों की अवगाहना की समानता कहाँ के देवों से होती है ?
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19 . सर्वार्थसिद्धि के देवों की अवगाहना कितनी होती है?


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20. ऊपर-ऊपर के स्वर्गों में अवगाहना घटती जाती है और परिग्रह बढ़ता जाता है ।


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21 . देवों का कौनसा संस्थान होता है ?


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22. देवों और नारकियों का संस्थान एक - सा होता है ।


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23. ऊपर-ऊपर के देवों में सुख की अधिकता होते जाने के कारण उनका अभिमान भी ज्यादा हो जाता है । यह कथन -


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24. मनुष्य या तिर्यंच ही देवों में उत्पन्न हो सकते हैं।


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25. इनमें से कौन देवों में उत्पन्न नहीं होगा ?
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26 . असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच की उत्पत्ति कौनसे देवों में होगी ?
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27 . मिथ्यादृष्टि मनुष्य 16 वें स्वर्ग में जा सकता है ।
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28 . असंज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तक तिर्यंच और सम्यग्दृष्टि मनुष्य ज्योतिष देवों में उत्पन्न नहीं होते ।


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29 . पहले गुणस्थान वाले पंचेन्द्रिय तिर्यंच भी 1 2 वें स्वर्ग तक जा सकते हैं और चौथे गुणस्थान वाले भी ।


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30. देश संयमी तिर्यंच 16 वें स्वर्ग में जाता है , उससे नीचे के स्वर्गों में नहीं ।


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31 . महाव्रत धारण किये बिना 16 वें स्वर्ग से ऊपर नहीं जा सकते।


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32. सम्यग्दृष्टि भोगभूमिज कौनसे स्वर्ग तक जा सकते हैं ?


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33 . सोलहवें स्वर्ग से ऊपर कौन -कौन जा सकता है?
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34. देव मरकर क्या -क्या बन सकते है?
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35 . देव मरकर क्या - क्या नहीं बनते ?


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36 . देव मरकर के सूक्ष्म व बादर जलकायिक दोनों बन सकते हैं।


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37. एकेन्द्रियों में वे ही देव उत्पन्न हो सकते हैं जो -


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38 . ग्रैवेयकों में उत्पन्न होने वाले देव पूर्व भव में


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39 . कोई कौनसे स्वर्ग का देव बनेगा यह किस पर निर्भर करता है?


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40 . इनमें से कौनसे संहनन वाला ग्रैवेयकों में उत्पन्न हो सकता है?

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41. मिथ्यादृष्टि तथा पंचेन्द्रिय पर्याप्तक तिर्यंच 1 2 वें स्वर्ग तक जा सकता है किन्तु सम्यग्दृष्टि पंचेन्द्रिय पर्याप्तक नहीं जाता ।


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