दिए गए गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए | गर्मी की छुटियाँ थीं। दोपहर के समय दिनेश घर में बैठा कोई कहानी पढ़ रहा था। तभी पेड़ के पत्तों को हिलाती हुई कोई वस्तु धम से घर के पीछे वाले बगीचे में गिरी। दिनेश आवाज से पहचान गया कि वह वस्तु क्या हो सकती है। वह एकदम से उठकर बरामदे की चिक सरका कर बगीचे की ओर भागा। अरे अरे, बेटा कहाँ जा रहा है? बाहर लू चल रही है। दिनेश की माँ मशीन चलाते-चलाते एकदम ज़ोर से बोलीं। परन्तु दिनेश रुका नहीं। उसने पैरों में चप्पल भी नहीं पहनी। जून का महीना था। धरती तवे की तरह तप रही थी। पर दिनेश को पैरों के जलने की भी चिंता नहीं थी। वह जहाँ से आवाज आई थी, उसी ओर भाग चला। सामने की क्यारी में भिन्डियों के ऊँचे-ऊँचे पौधे थे। एक ओर सीताफल की घनी बेल फैली हुई थी। क्यारियों के चारों ओर हरे-हरे केले के वृक्ष लहरा रहे थे। दिनेश ने जल्दी-जल्दी भि्ांडियों के पौधों को उलटना-पलटना आरम्भ किया। जब वहाँ कुछ नहीं मिला तो उसने सारी सीताफल की बेल छान मारी। बराबर में ही छोटे-छोटे गड़े बना रखे थे। ढूँढ़ते-ढूँढ़ते जब उसकी निगाह उधर गई तो उसने देखा कि गइे के ऊपर ही एक बिल्कुल नई चमचमाती किरमिच की गेंद पड़ी है।