1.आक्रोश कौनसा परीषह है?
2.मारने के लिए तत्पर तलवार लिए हुए व्यक्ति को देखकर यह सोचना कि यह मेरे पूर्व जन्म का फल है।कौनसा परीषह जय है?
3.आहारादि न मिलने पर भले ही प्राण चले जायें लेकिन मन में दीनता के भाव ना आने देना कौनसा परीषह जय है?
4.रास्ते में मरा हुआ जीव मिल जाने के कारण आहार ना हो पाने पर भी आर्त रौद्र ध्यान से बचे रहना कौनसा परीषह जय है?
5.शरीर अस्वस्थ होने के बावजूद बिना दवाई,बिना आकुलता के धर्मध्यान करना कौनसा परीषह जय होता है?
7.अस्नान व्रत के धारी मुनिवर शरीर में जमे मैल से खेद खिन्नता उत्पन्न होने की अपेक्षा सम्यग्ज्ञान,सम्यगचारित्र रूपी विमल जल से प्रक्षालन द्वारा कर्म कलंक को दूर करने में उद्यत हैं।ऐसे मुनिवर किस परीषह जय के धारी होते हैं?
11.ज्ञान ना होने पर लोगों के तिरस्कारयुक्त वचनों को सुनकर भी हीनभावना ना लाना कौनसा परीषह जय है?
12.श्रद्धान से च्युत होने वाले कारण उपस्थित होने पर भी मुनिमार्ग से च्युत ना होना कौनसा परीषह जय है?
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