श्री तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय-2
कक्षा/Class - 11
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Q1. लब्धि मतलब क्या है?
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Q2. कर्म का क्षयोपशम होने पर जो आत्मा में कुछ उपलब्धि होगी उसका नाम क्या है?
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Q3. अंतराय कर्म कितने प्रकार के होते है?
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Q4. दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य किसके भेद है?
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Q5.उपदेश का लाभ ले पाते हैं, सानिध्य का लाभ ले पाते हैं, आहार दान का लाभ लेना ये कौन से कर्म के क्षयोपशम से है?
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Q6. ऐसा कोई जीव बताओ जिसमें ज्ञान का कुछ अंश प्रकट न हो
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Q7.कौन सा सम्यग्दर्शन अगले जन्म में भी हमारे साथ जाता है?
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Q8.कौन सा सम्यग्दर्शन लम्बे समय तक जीवन पर्यन्त तक भी रह सकता है?
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Q9.दर्शन मोहनीय कर्म के कितने भेद है?
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Q10.सात कर्मों का उपशमन होना
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Q11.सात कर्मों का क्षय होना
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Q12.क्षयोपशम सम्यग्दर्शन में कितनी प्रकृतियों का उपशमन होता है?
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Q13. क्षयोपशम सम्यग्दर्शन का काल कितने सागर का है?
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Q14.उपशम सम्यग्दर्शन का काल कितना है?
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Q15.कैसे जानोगे कि क्षयोपशमिक लब्धि है?
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Q16. ज्ञानावरणीय कर्म का पूर्ण उदय किसको है?
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Q17.अंतराय कर्म का क्षयोपशम किसमें है?
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Q18.लम्बे समय तक रहने वाला सम्यक्त्व कौन सा है?
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Q19. क्षयोपशमिक सम्यक्त्व में किस प्रर्किति का उदय है ?
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Q20.सम्यग्दर्शन होने से पहले होने वाली पांच तरह की प्राप्तियां  क्या कहलाती है?
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Q21. ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम होने पर जो उपलब्धि होती है उसका नाम क्षयोपशम लब्धि है ।
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Q22.दान करने में विध्न डालने वाला कौन सा कर्म है ?
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Q23. दाता आहार देना चाहता है सत्पात्र लेना चाहते हैं फिर भी दाता के _____ कर्म के उदय से एवं पात्र के ____कर्म के उदय से आहार प्राप्त नहीं कर पाते ।
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Q24.व्यापार में किसी बड़े आर्डर का नहीं मिल पाना लाभांतराय कर्म के____उदय तथा क्षयोपशम_____हो जाने से होता है।
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Q25. ज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपशम इनमें से किन - किन में रहता है?
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Q26. ज्ञानज्ञानदर्शन - लब्ध्यश्चतुस्त्रि … . - पंचभेदा : सम्यक्त्वचारित्र संयमासंयमाश्च ।
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Q27.महावीर जयंती के जुलूस में जाने का उत्साह नहीं होना किस कर्म के कारण होता है ?
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Q28.'सम्यक्त्व चारित्रे ' इस सूत्र में कौनसा चारित्र बताया गया है ?
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Q29. औपशमिक सम्यग्दर्शन अगले भव में भी हमारे साथ जाता है ।
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Q30.इस पंचम काल में सभी जीव मिथ्यादृष्टि ही है।
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Q31.अगले भव में हमारे साथ जाने वाला होता है -
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Q32.चारित्र के कितने भेद होते है?
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Q33.निम्न में से कौन संयमासंयमी होते हैं?
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Q34.जीव व्रतों को ग्रहण नहीं कर पाता -
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Q35.प्रवचन में महाराज जी ने राक्षस किन्हें बताया है-
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Q36. क्षयोपशम सम्यग्दर्शन में क्षयोपशम भाव सम्यक्‌मिथ्यात्व के उदय से बनता है -
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Q37. क्षयोपशय सम्यग्दर्शन में - …... प्रकृतियों का उदयाभावी क्षय , ...… प्रकृतियों का सद्वस्थारूप उपशम तथा …..... प्रकृति का उदय होता है ।
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Q38. औपशमिक सम्यग्दृष्टि जीव सीधा क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त कर सकता है ।
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Q39.सही तथा गलत बताइए।
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सही
गलत
क्षयोपशम में सर्वघाति स्पर्धकों का उदय होता है ।
जैसे जैसे मतिश्रुत ज्ञानावरणीय कर्म का अनुभाग कम होता जाता है , ज्ञान में वृद्धि होती जाती है ।✅
ज्ञान में मिथ्यात्व का सद्भाव नहीं रहता है ।
प्रकृति बंध पर क्षयोपशम भाव निर्भर करता है ।
सर्वावधि ज्ञान श्रुतज्ञान का भेद है ।
देशघाति स्पर्धकों के उदय के कारण हम में अनंतदर्शन प्रकट नहीं हो पाता ।
श्रुतज्ञान मिथ्यात्व के कारण कुश्रुतज्ञान बन जाता है ।
चक्षु दर्शनावरणी कर्म के क्षयोपशम से अचक्षुदर्शन होता है।
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