श्री तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय-2  
कक्षा/Class - 40
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Q1 . कर्मों में क्षयोपशम की अवस्था विग्रह गति में नहीं बनती यह कथन?
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Q2. मन के निमित्त से होने वाले योग को क्या कहते हैं?
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Q3. आत्म प्रदेशों में होने वाले परिस्पंदन के लिए कौन निमित्त है ?
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Q4. निम्नलिखित में से कौन से प्राण विग्रह गति में नहीं होते ?
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Q5. विग्रह गति में जीव का गमन होता है - .
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Q6. औदारिक शरीर के अभाव में भी जीव को कर्म बंध होता है।
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Q7. संज्ञी पंचेन्द्रिय के विग्रह गति में कितने प्राण होते हैं?
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Q8. पर्याप्तियों के योग्य पुद्गल वर्गणाओं का ग्रहण कब से शुरू होता है?
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Q9. इनमें से किस योग का अभाव संसारी जीव के 1 समय के लिए भी नहीं होता ?
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Q10. विग्रहगति में भी जीव अपने पुण्य-पाप लेकर चलता है यह कथन कैसा है ?
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Q11. जीव का सही ज्योतिष कब से देखना चाहिए ?
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 Q12. जीव का कौन सा समय मह्त्त्वपूर्ण होता है कुंडली के लिए गर्भ का समय ?
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Q13. जीव मे पुद्गल् वर्गणा ग्रहण होना गर्भ मे आने के किस समय से शुरू होती है ?
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Q14. संसारी आत्मा हमेशा योग में रहता है यह कथन कैसा है ?
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Q15. अनु___ गतिः। पूर्ण करो
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Q16. अविग्रहगति में जीव कैसे गमन करेगा ?
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