श्री तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय-6 अभ्यास : Class 30
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परात्मनिन्‍दाप्रशंसे सदसद्‌-गुणोच्छादनोद्भावने च ______ गोत्रस्य। सूत्र पूर्ण करो-

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उच्छादन का क्या अर्थ होता है? 

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नीच गोत्र के आस्रव का कारण क्या है? 

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तद्विपर्ययो _____र्वृत्यनुत्सेकौ चोत्तरस्य। सूत्र पूर्ण करो-

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उच्च गोत्र के आस्रव का कारण क्या है? 

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निचैर्वृत्ति का क्या अर्थ है? 

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नम्र वृत्ति को अनुत्सेक कहते हैं? 

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कौन से भाव उच्च गोत्र के आस्रव के कारण हैं? 

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अंतराय कितने होते हैं? 

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कोई व्रती बनना चाहता है।हम उस समय पर अंतराय डालें तो ये कौन सी अंतराय है? 

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कोई सम्यग्ज्ञान अर्जित करना चाहता है उसके उत्साह में कमी डालना । ये कौन सी अंतराय है? 

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संसारी जीव के कितने कर्मों का बन्ध प्रति समय चलता रहता है? 

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निम्न में से संसारी जीव के कौन से कर्म का बन्ध प्रति समय चलता रहता है? 

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बंध कितने प्रकार के होते हैं? 

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