श्री तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय-2  
class 4 revision
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Q1. वर्ग और वर्गों के समूह से क्या बनती है?
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Q2. स्पर्धक किसके समूह से बनते हैं?
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Q3. स्पर्धक को समझाने के लिए महाराज जी ने किसका उदाहरण दिया है?
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04. स्पर्धक का मतलब?
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05. स्पर्धक कितने प्रकार के होते हैं?
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06. स्पर्धक के प्रकार कौन से है?
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07. किसके उदय में आत्मा का कोई भी गुण प्रकट नहीं होगा
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08.  सर्वघाती स्पर्धक क्या करता है?
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Q9. जो कर्म में फल देने की अनुभाग शक्ति है वह कितने रूपों मे जानी जाती है?
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Q10. कर्मो मे कौन कौन से स्पर्धक एक साथ हो सकते है
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Q11. सर्वघाती स्पर्धकों के कारण से हमारे अन्दर किस ज्ञान का कोई अंश प्रकट नहीं हो सकता
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Q12. केवल ज्ञानावरणीय कर्म मे कौन सी अनुभाग शक्ति होगी
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Q13. क्षयोपशम ज्ञान मे कौन से स्पर्धक होंगे
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Q14. क्षयोपशम ज्ञान कौन से है
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Q15. किसके उदय मे ही हमे कुछ ग्रहण करने मे आयेगा
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Q16.  क्षयोपशम का मतलब
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Q17. बंध कितने प्रकार के होते है
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Q18. उदयाभावी क्षय का मतलब
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Q19. क्षायोपशमिक ज्ञान कौन कौन से है
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Q20. ज्ञानाज्ञान ____ लब्धयस । पूर्ण करो
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Q21.   अवधि -ज्ञानावरणीय कर्म के कौन से स्पर्धकों के उदय से क्षयोपशम नहीं हो सकेगा
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Q22.   किन स्पर्धकों के उदय से कुछ ज्ञान प्रकट हो रहा है
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Q23. अवधि ज्ञान के क्षयोपशम में अन्तर किससे आता है
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Q24.   क्षायिक भाव में कौन से ज्ञान होंगे
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Q25.अज्ञान किस कारण से है
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Q26. अज्ञान कितने प्रकार के होते है
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Q27. लोहे पर जंग के उदाहरण में लोहा क्या है?
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Q28. क्षायोपशमिक भाव में-
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Q29. क्षायोपशमिक भाव में क्षय का अर्थ
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Q30. सदवस्था रूप उपशम क्या है
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Q31. कौन से ज्ञान क्षायोपशमिक हैं
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Q32. सबके अवधिज्ञान में अंतर कैसे आता है
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Q33. सम्यक ज्ञान कौन से हैं
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Q34. ज्ञान को अज्ञान संज्ञा मिलती है        
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Q35. क्षायोपशमिक भाव में-
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Q36.  किस कर्म के क्षयोपशम से क्षयोपशमिक लब्धि होती है
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Q37. अविभागी प्रतिच्छेद  क्या है -
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Q38.  हमारे मतिज्ञान प्रकट  है क्योंकि मतिज्ञानावरण कर्म के -
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Q39. कोई मुनिराज मनःपर्ययज्ञानी नहीं हैं इसका अर्थ है, उनके मन :पर्ययज्ञानावरण कर्म के -
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Q40. निम्न में से अज्ञान कौन-कौन से हैं?
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Q41. क्षयोपशम दर्शन कितने हैं?
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Q42. लब्धि मतलब क्या है?
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Q43. कर्म का क्षयोपशम होने पर जो आत्मा में कुछ उपलब्धि होगी उसका नाम क्या है?
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Q44. अंतराय कर्म कितने प्रकार के होते है?
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Q45. दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य किसके भेद है?
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Q46. ऐसा कोई जीव बताओ जिसमें ज्ञान का कुछ अंश प्रकट न हो
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Q47.कौन सा सम्यग्दर्शन अगले जन्म में भी हमारे साथ जाता है?
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Q48. कौन सा सम्यग्दर्शन लम्बे समय तक जीवन पर्यन्त तक भी रह सकता है?
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Q49.दर्शन मोहनीय कर्म के कितने भेद है?
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Q50. सात कर्मों का उपशमन होना
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Q51.सात कर्मों का क्षय होना
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Q52. क्षयोपशम सम्यग्दर्शन में कितनी प्रकृतियों का उपशमन होता है?
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Q53. उपशम सम्यग्दर्शन का काल कितना है?
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Q54. कैसे जानोगे कि क्षयोपशमिक लब्धि है?
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Q55. ज्ञानावरणीय कर्म का पूर्ण उदय किसको है?
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Q56.अंतराय कर्म का क्षयोपशम किसमें है?
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Q57. क्षयोपशमिक सम्यक्त्व में किस प्रर्किति का उदय है ?
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Q58. सम्यग्दर्शन होने से पहले होने वाली पांच तरह की प्राप्तियां  क्या कहलाती है?
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Q59. ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम होने पर जो उपलब्धि होती है उसका नाम क्षयोपशम लब्धि है ।
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Q60. दान करने में विध्न डालने वाला कौन सा कर्म है ?
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Q61 . दाता आहार देना चाहता है सत्पात्र लेना चाहते हैं फिर भी दाता के _____ कर्म के उदय से एवं पात्र के ____कर्म के उदय से आहार प्राप्त नहीं कर पाते ।
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Q62. ज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपशम इनमें से किन - किन में रहता है?
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Q63. ज्ञानज्ञानदर्शन - लब्ध्यश्चतुस्त्रि … . - पंचभेदा : सम्यक्त्वचारित्र संयमासंयमाश्च ।
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Q64. महावीर जयंती के जुलूस में जाने का उत्साह नहीं होना किस कर्म के कारण होता है ?
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Q65.अगले भव में हमारे साथ जाने वाला होता है -
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Q66. निम्न में से कौन संयमासंयमी होते हैं?
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Q67. जीव व्रतों को ग्रहण नहीं कर पाता -
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Q68. क्षयोपशम सम्यग्दर्शन में क्षयोपशम भाव सम्यक्‌मिथ्यात्व के उदय से बनता है -
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Q69. क्षयोपशय सम्यग्दर्शन में - …... प्रकृतियों का उदयाभावी क्षय , ...… प्रकृतियों का सद्वस्थारूप उपशम तथा …..... प्रकृति का उदय होता है ।
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Q70. सही तथा गलत बताइए।
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सही
गलत
क्षयोपशम में सर्वघाति स्पर्धकों का उदय होता है ।
जैसे जैसे मतिश्रुत ज्ञानावरणीय कर्म का अनुभाग कम होता जाता है , ज्ञान में वृद्धि होती जाती है ।✅
ज्ञान में मिथ्यात्व का सद्भाव नहीं रहता है ।
प्रकृति बंध पर क्षयोपशम भाव निर्भर करता है ।
सर्वावधि ज्ञान श्रुतज्ञान का भेद है ।
देशघाति स्पर्धकों के उदय के कारण हम में अनंतदर्शन प्रकट नहीं हो पाता ।
श्रुतज्ञान मिथ्यात्व के कारण कुश्रुतज्ञान बन जाता है ।
चक्षु दर्शनावरणी कर्म के क्षयोपशम से अचक्षुदर्शन होता है।
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