श्री तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय-2  
कक्षा/Class - 30
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Q1. “द्वीन्द्रियादयस्त्रसाः “ सूत्र में आदयः शब्द किसके लिये प्रयुक्त हुआ है
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Q2. त्रस जीव कैसे होते हैं
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Q3.त्रस जीव किस कर्म के उदय से बनते हैं
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Q4.त्रस जीवों में किस कर्म के क्षयोपशम के अनुसार पर्याय बनती है
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Q5. दो इंद्रिय जीव किनके माध्यम से जी रहा है
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Q6. पर्याप्तियां पूर्ण होने तक जीव को क्या कहते हैं
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Q7. कितनी इंद्रिय वाले जीव अपर्याप्तक होते हैं
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Q8. मनुष्य कैसे होते हैं
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Q9. किनका जीवन श्वास के अठारहवें भाग में पूर्ण हो जाता है
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Q10. किनका गर्भ में जन्म होता है
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Q11. पर्याप्तक नाम कर्म के उदय में जीव अपनी पर्याप्तियां नियम से पूर्ण करता है ये कथन कैसा है
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Q12. अगली पर्याय में जन्म के पश्चात् एक अंतर्मुहुर्त तक की अवस्था को क्या कहते हैं
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Q13. पर्याप्तक जीव की कितनी दशायें होती हैं
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Q14. कौनसी इंद्रिय दो कार्य करती है
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Q15. दो इंद्रिय जीवों में कितने प्राण होते हैं
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Q16. तीन इंद्रिय जीवों में कितने प्राण होते हैं
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 Q17. चार इंद्रिय जीवों में कितने प्राण होते हैं
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Q18. पाँच इंद्रिय जीवों में कितने प्राण होते हैं
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Q19. दो इन्द्रिय जीव में स्पर्शन और घ्राण इन्द्रिय होती है ।
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Q20. त्रस नाम कर्म का उदय है -
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Q21. इनमें से नाम कर्म के भेद है
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Q22. वायुकायिक जीव में स्थावर के साथ साथ त्रस नामकर्म का भी उदय होता है ।
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Q23.  घ्राण इन्द्रियावरण कर्म के क्षयोपशम सहित जीव के कौन कौन सी इन्द्रिय होगी?
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Q24. अपर्याप्तक जीव के लिए कौन सा कथन सही है?
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Q25. इनमें से किनमें अपर्याप्तक व पर्याप्तक दोनों दशाएँ होती है -
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Q26.  चक्षु इन्द्रियावरण कर्म के क्षयोपशम सहित जीव में इन्द्रियों की संख्या -
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Q27. पंचेन्द्रिय लब्धयपर्याप्तक जीव में कर्ण इन्द्रियावरण कर्म का क्षयोपशम होता है ।
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Q28.  अपर्याप्तक जीव के किसी भी इन्द्रिय सम्बन्धी ज्ञान का क्षयोपशम नहीं होता है ।
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Q29, गर्भ जन्मवाले जीव होते हैं -
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Q30.  लब्ध्य पर्याप्तक जीव सम्मूर्च्छन जन्म वाले होते हैं ।
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Q31. निर्वृत्यापर्याप्तक अवस्था होती है-
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Q32. एक दिन का भ्रूण जो मृत्यु को प्राप्त हो गया हो, वह है-
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Q33. जिस जीव की कोई भी पर्याप्ति अभी पूर्ण तो नहीं हुई है किन्तु नियम से पूर्ण होगी , वह है -
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 Q34, किस कर्म के उदय से लब्ध्यपर्याप्तक दशा होती है-
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