प्रेम वाहिनी (पुनर्स्मरण) - अध्याय - 17 प्रश्नावली
ॐ श्री साईं राम!
क्विज (प्रश्नोत्तरी)
प्रेम वाहिनी (पुनर्स्मरण) - अध्याय - 17 - प्रश्नावली
प्रिय साईं परिवार सदस्य, सप्रेम
साईंराम! सारे भक्त/साधकों से , जो वाहिनी पारायण कर रहे हैं, अनुरोध है कि क्विज के द्वारा अपनी प्रज्ञा को पुनः तरोताजा कर लें। -
श्री सत्या साईं वाहिनी पारायण ‌टीम - हेल्पलाइन   -- 23nov1926@gmail.com / WhatsApp 9440896720
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1."आस्ति नास्ति का संशय छोड़ो,दानव राज़! सुनो मम वानी, जहां जहां तुम खोजो,देखो; वहीं वहीं वह अंतर्यामी।" किसने किससे  कहा? *
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2. कब व्यक्ति मूर्खतापूर्ण घृणा को दूर करने में असमर्थ होकर विशाल दृष्टिकोण अपनाने में असफल हो जाता है? *
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3. ईश्वर के प्रति सांसारिक और व्यावहारिक संबंध में आधिकारिक रूप से कुछ भी क्यों नहीं कहा जा सकता है? *
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4. सही जोड़ी का मिलान करें---
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5. भगवान के जो नाम रूप अन्य लोगों को प्रिय और पवित्र लगते हैं और जिन्हें आदर्श रूप में मानते हैं, वे भी उतने ही पवित्र और महान् हैं जैसे कि तुम्हारे आदरणीय और प्रिय नाम रूप। *
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6. प्रेम, प्रेमी,प्रेमास्पद एक ही सभी तीनों होते हैं। प्रेम के बिना प्रेमी हो सकता। प्रेमास्पद के बिना की प्रेम की क्रिया होती है। *
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7. सही जोड़ी मिलान करें -- *
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8. दूध __ मक्खन __ छाछ और मट्ठा ___ , __ भिन्न भिन्न, रंग तीनों का__ तीनों में एक ही __ ब्रह्म है। *
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9. प्रेम की प्रकृति नहीं बदलती। क्यों? *
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10. जबतक अर्जुन ने स्वयं नहीं देख लिया कि कृष्ण किस प्रकार स्वयं में ही संपूर्ण ब्रह्मांड को लिए हैं तबतक वह समझ नहीं पाया कि कृष्ण ही सर्वांतर्यामी हैं। *
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