JavaScript isn't enabled in your browser, so this file can't be opened. Enable and reload.
श्री तत्त्वार्थ सूत्र जी अध्याय -5
class 19
Sign in to Google
to save your progress.
Learn more
1. निगोद जीव की अवगाहना कितनी होती हैं?
1 point
घनांगुल का असंख्यातवां भाग
घनांगुल का अनंतवां भाग
घनांगुल का संख्यातवां भाग
इनमें से कोई नहीं
Clear selection
2.
केवली समुद्घात के माध्यम से जीव पूरे लोकाकाश में भी अपने प्रदेशों को फैला सकता है?
1 point
सत्य
असत्य
Clear selection
3.
___ गुरूदेह पमाणो। पूर्ण करो-
1 point
अणु
द्रव्य
परमाणु
आकाश
Clear selection
4.
व्यवहार से अणुगुरूदेह पमाणो वाला कौन होता है?
1 point
जीव
पुद्गल
काल
आकाश
Clear selection
5.
कर्म से रहित होने पर भी जीव का स्वभाव संकोच और विस्तार होता है।यह कथन कैसा है?
1 point
सत्य
असत्य
Clear selection
6.
कर्म से रहित होने पर जीव की अवगाहना कितनी होती हैं?
1 point
चरम शरीर से कुछ न्यून
चरम शरीर से कुछ अधिक
चरम शरीर के बराबर
इनमे से कोई नही
Clear selection
7.
गुरूदेव ने मिट्टी और पानी के उदाहरण में कर्म किसे बताया है?
1 point
पानी
मिट्टी
दोनों
इनमे से कोई नहीं
Clear selection
8.
सिद्ध जीव के विषय में क्या सत्य है?
2 points
संकोच और विस्तार रहित
योग सहित
यह अवस्था अनंत काल तक रहती हैं
अचल प्रदेश सहित
9.
संकोच और विस्तार को समझाने के लिए प्रदीपवत् का उदाहरण दिया गया है? यह कथन कैसा है-
1 point
सत्य
असत्य
Clear selection
Submit
Clear form
This form was created inside of Arham Dhyan Yog.
Report Abuse
Forms