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Hindi Exam Set 18
Amar's Classes For English
presents 50 MCQs for BSEB | 12th 2024
मीरगंज, जी० डी० कॉलेज मेन रोड बेगूसराय
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VVI MCQS | By Amar Sir
1) फिर भी रोता ही रहता है, नही मानता है, मन मेरा बड़ा जटिल नीरस लगता है, सूना सूना जीवन मेरा
*
1 point
उषा
कड़बक
पुत्र वियोग
छप्पय
2) पूरब पश्चिम से आते हैं नंगे बूचे नर कंकाल सिंहासन पर बैठा, उनके तमगे कौन लगाता है।
*
1 point
अधिनायक
पुत्र वियोग
कवित
उषा
3) आज दिशाएँ भी हँसती है, है उल्लास विश्व पर
छाया, मेरा खोया हुआ खिलौना, अब तक मेरे पास न आया
*
1 point
अधिनायक
पुत्र वियोग
छप्पय
कवित
4) जादू टूटता है इस उषा का अब सूर्योदय हो रहा है
*
1 point
पुत्र वियोग
गाँव का घर
हार -जीत
उषा
5) धनि सो पुरुख जस कीरति जासू फूल मरै पै रैन बसू
*
1 point
कड़बक
कवित
उषा
छप्पय
6) शीत न लग जाय इस भय से नही गोद से जिसे उतारा छोड़कर काम दौड़कर आयी मॉ कहकर जिस समय पुकारा ॥
*
1 point
पुत्र वियोग
तुमुल कोलाहल कलह में
प्यारे नन्हे बेटे को
गाँव का घर
7) जहाँ मरू ज्वाला धधकती, चातकी कन को तरसती, उन्हीं जीवन घाटियों की, मैं सरस बरसात रे मन
*
1 point
अधिनायक
तुमुल कोलाहल कलह में
गाँव का घर
उषा
8) राष्ट्रगीत में भला कौन वह भाग्य विधाता है फटा सुथना पहने जिसका गुण हरचरना गाता है
*
1 point
गाँव का घर
अधिनायक
पुत्र वियोग
कवित
9) पंचायती राज में जैसे खो गए पंच परमेश्वर बिजली बत्ती आ गयी कब की
*
1 point
गांव का घर
पुत्र वियोग
कवित
उषा
10) बड़ा कठिन है बेटा खोकर, मॉ को अपना मन समझाना
*
1 point
पुत्र वियोग
कवित
अधिनायक
उषा
11) एक नैन कवि मुहमद गुनी सो बिमोहा जेइ कबि सुनी ॥ चॉद जइस जग बिधि औतारा। दीन्ह कलंक कीन्ह उजिआरा
*
1 point
कड़बक
पद सूरदास
पद तुलसीदास
छप्पय
12) जो रस यशोदा बिलसत, सो नहि तिहौ भुवनियाँ, भोजन करि नन्द
*
1 point
पुत्र वियोग
छप्पय
कवित
पद सूरदास
13) यह लगता एक बार यदि, पल भर को उसको पा जाती, जी से लगा प्यार से सर, सहल - सहला उसे समझाती ।
*
1 point
अधिनायक
कवित
उषा
पुत्र वियोग
14) फिर भी कोई कुछ न कर सका, छिन ही गया खिलौना मेरा, मै असहाय विवश बैठी ही रही, उठ गया छौना मेरा
*
1 point
पुत्र वियोग
कवित
पद सूरदास
पद तुलसीदास
15) चॉद जइस जग विधि औतारा दीन्ह कलंक कीन्ही उजियारा
*
1 point
पुत्र वियोग
छप्पय
कवित
कड़बक
16) तड़प रहे है विकल प्राण ये मुझको पल भर शांति नही है, वह खोया धन पा न सकूँगी, इसमें कुछ भी भ्रांति नही है
*
1 point
उषा
पुत्र वियोग
कवित
छप्पय
17) थपकी दे दे जिसे सुलाया, जिसके लिए
लोरियाँ गाई जिसके मुख पर जरा मलिनता, देख आँख में रात बिताई
*
1 point
अधिनायक
पुत्र वियोग
उषा
कवित
18) पत्नी याद दिलाएगी, जैसे समझाएगी बिटिया को, बाल्टी सामने कुएँ में लगी लोहे की घिरी, छते की काड़ी-ठंडी और घमेला, हॅसिया चाकू और भिलाई बलाडिला जगल-जगह लोहे की टीले |
*
1 point
प्यारे नन्हे बेटे को
गॉव का घर
तुमुल कोलाहल कलह में
उषा
19) लागति लपकि कंठ बैरिन के नागिन सी, रूद्रहि रिझावै दै दै मुंडन की माल को
*
1 point
कवित
छप्पय
पद सूरदास
पद तुलसीदास
20) एक नैन कवि मुहमद गुनी सो विमोहा जेइ कवि सुनि
*
1 point
कड़बक
कवित
पद तुलसीदास
गॉव का घर
21) कौन-कौन है जन-गण-मन अधिनायक वह महाबली डरा हुआ मन बेमन जिसका, बाजा रोज बजाता है ।
*
1 point
अधिनायक
उषा
कवित
गॉव का घर
22) जागिए, ब्रजराज कुँवर, कॅवल-कुसुम फूले । कुमुद वृंद संकुचित भए, भृंग लता भूले ।
*
1 point
कवित
गॉव का घर
छप्पय
पद सूरदास
23) दावा द्रुम-दंड पर चीता मृग झुंड पर भूषण
बितुंड पर जैसे मृगराज है
*
1 point
कवित
गॉव का घर
तुमुल कोलाहल कलह में
उषा
24) विमल बुद्धि हो तासुकी, जो यह गुन श्रवननि धेरै, सुर कवित सुनि कौन कवि जो नही शिरचालन करै
*
1 point
पद सूरदास
पद तुलसीदास
कवित
छप्पय
25) प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि, कालिका सी किलकी कलेउ देति काल को
*
1 point
तुमुल कोलाहल कलह में
कवित
गॉव का घर
छप्पय
26) तुमुल कोलाहल कलह में, मैं हृदय की बात रे मन | विकल होकर नित्य चंचल, खोजती जब नींद के पल चेतना थक सी रही तब, मैं मलय की बात रे मन
*
1 point
तुमुल कोलाहल कलह में
अधिनायक
प्यारे नन्हे बेटे को
उषा
27) चाहे जिस देश प्रति पूर कर हरे, जन-जन का चेहरा एक एशिया की, युरोप की, अमरीका, की गलियों में धूप एक
*
1 point
प्यारे नन्हे बेटे को
जन जन का चेहरा एक
पुत्र वियोग
अधिनायक
28) इसी तरह घर भर मिल कर धीरे-धीरे सोच सोचकर एक साथ दूढ़ेंगे कहाँ-कहाँ लोहा है-
*
1 point
प्यारे नन्हे बेटे को
गॉव का घर
जन जन चेहरा एक
अधिनायक
29) दीन, सब अंगहीन, छीन, मलीन, अघी अघाई। नाम ले भरै उदर एक प्रभु दासी दास कहाइ ||
*
1 point
पद तुलसीदास
पद सूरदास
कड़बक
छप्पय
30) पवन की प्राचीर में रूक, जला जीवन जा रहा इस झुलसते विश्व-तन की, मै कुसुम रितु रात रे मन
*
1 point
कड़बक
तुमुल कोलाहल कलह में
पुत्र वियोग
अधिनायक
31) मखमल टमटम बल्लम तुरही, पगड़ी छत्र चॅवर के साथ तोप छुड़ाकर ढोल बजाकर, जय-जय कौन कराता है।
*
1 point
पुत्र वियोग
अधिनायक
कवित
उषा
32) चिर विषा विलीन मन की, इस व्यथा के तिमिर वन की, मैं उषा सी ज्योति रेखा, कुसुम विकसित प्रात रे मन
*
1 point
पुत्र वियोग
छप्पय
पद सूरदास
तुमुल कोलाहल कलह में
33 ) नाम लै भरे उदर एक प्रभु दासी दास कहाई
*
1 point
पद सूरदास
पद तुलसीदास
कवित
छप्पय
34) कि जैसे गिर गया हो गजदंतों को गंवाकर कोई हाथी
*
1 point
गॉव का घर
पुत्र वियोग
कवित
अधिनायक
35) जिन पर है वे सेना के साथ ही जीतकर लौट रहे है जिन किनके लिए आया है?
*
1 point
हार -जीत
कवित
अधिनायक
पद सूरदास
36) जिसके भीतर आने से पहले खास कर आना पड़ता था बुजुर्गो को
*
1 point
अधिनायक
कवित
कडबक
गॉव का घर
37 ) हिन्दू तुरक प्रमाण रमौनि सबदी सखी ||
पक्षपात नहि बचन सबहिके हितकी भाषी
*
1 point
छप्पय
कवित
गांव का घर
अधिनायक
38 ) जल्दी जल्दी मेरे कंधे से,
ऊँचा हो लड़का ,
लड़की का हो दूल्हा प्यारा
*
1 point
पुत्र वियोग
प्यारे नन्हे बेटे को
हार - जीत
कवित
39 ) किन्तु रात दिन की साथिन माँ
कैसे अपना मन समझावे !
*
1 point
हार - जीत
उसने कहा था
प्यारे नन्हे बेटे हो
पुत्र वियोग
40) उक्ति चौज अनुप्रास वर्ण अस्थिति अतिभारी ||
वचन प्रीति निवहीअर्थ अद्भुत तुकधारी ||
*
1 point
उसने कहा था
छप्यय
हार - जीत
अधिनायक
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