नियम व शर्तें दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा एवं गद्य/पद्य में प्रकाशित पुस्तकाकार मौलिक कृति को पुरस्कार हेतु प्रविष्टि भेजने के सम्बन्ध में शर्तें, उल्लेखनीय बिन्दु:-
1. प्रविष्टियाँ ‘राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान’, उ0प्र0, लखनऊ को दिनांक 20 जनवरी, 2024 तक प्राप्त हो जानी चाहिए।
2. प्रविष्टियाँ उत्तर प्रदेश राज्य के वही कर्मी (प्रदेश के राज्यकर्मियों में प्रदेश कैडर के अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी भी आयेंगे) भेज सकते हैं जो नियमित सेवा में हों या जिनकी सेवा कम से कम तीन वर्ष की हो गयी हो। इस सेवा में संविदा, दैनिक भोगी एवं वर्क चार्ज अधिकारी/कर्मचारी के रूप में की गयी सेवा सम्मिलित नहीं होगी। कर्मचारी की मौलिक नियुक्ति, स्थायीकरण, नियमितीकरण या तीन वर्ष या अधिक अवधि की लगातार सेवा के सम्बन्ध में सेवायोजक के हस्ताक्षर से जारी प्रमाण-पत्र या कोई अन्य सत्यापित आदेश संलग्न किया जाना चाहिए। हिन्दीतर भाषा/भाषी प्रदेश के राज्यकर्मियों के लिए भी यही शर्तें लागू होंगी। उ0प्र0 सरकार के पेंशनर उनके लिए निर्धारित फार्म में प्रविष्टि भेजें उसके साथ कोषागार से प्राप्त परिचय-पत्र, पेंशन-प्रपत्र एवं वोटर आई0डी0 कार्ड की राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापित फोटो प्रति संलग्न करें एवं हिन्दीतर भाषा-भाषी राज्यकर्मी तथा उत्तर प्रदेश के सेवानिवृत्त राज्यकर्मी वोटर आई0डी0 की राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापित फोटो प्रति, राज्यकर्मी होने का सेवायोजक द्वारा प्रदत्त प्रमाण-पत्र (हिन्दी या अंग्रेजी में) भी संलग्न करें।
3. पुस्तक में प्रकाशन वर्ष लिखा होना चाहिए एवं उक्त मौलिक/प्रकाशित पुस्तकाकार कृति पुस्तक के रूप में प्रकाशित होनी चाहिए।
4. प्रविष्टि का प्रारूप 4 प्रतियों में प्रेषित किया जाय, तद्नुसार पुस्तक की 4 प्रतियाँ भेजी जानी चाहिए।
5. प्रारूप के सभी स्तम्भ पूरे भरे होने चाहिए। साहित्यकार द्वारा देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली उत्तर प्रदेश की भाषाओं/बोलियों या उर्दू भाषा (फारसी लिपि में) में दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा होनी चाहिए या इन्हीं भाषाओं/बोलियों में कृति प्रकाशित होनी चाहिए। हिन्दी/उर्दू, गद्य/पद्य में सृजनात्मक साहित्य के अतिरिक्त यात्रा वृत्तांत, आत्मकथा, जीवनी, संस्कृति, संस्मरण, विज्ञान, पर्यावरण, अद्यावधिक विषय, आलोचनात्मक साहित्य, भूगोल, इतिहास, दर्शन, पौराणिक, शिक्षा एवं वित्त से सम्बन्धित पुस्तकें या अन्य भाषा में लिखी गयी उपयोगी पुस्तकों का हिन्दी/उर्दू में किये गये अनुवाद की पुस्तकें भी पुरस्कार हेतु विचारणीय होंगी।
उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मियों को देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली प्रदेश की भाषाओं/बोलियों में मौलिक एवं दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा के लिए पुरस्कार प्रदान किये जानने हैं। इन सभी पुरस्कारों की धनराशि रुपये एक-एक लाख होगी। इस सम्बन्ध में यदि कोई जानकारी प्राप्त करनी हो तो ‘सचिव पुरस्कार समिति’, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ0प्र0, लखनऊ से दूरभाष सं0 0522-2213943 पर प्राप्त की जा सकती है।
6. पत्र के साथ जो प्रारूप भेजा जा रहा है उसकी प्रतिलिपि कर के प्रविष्टियाँ प्रेषित की जा सकती हैं या सचिव, पुरस्कार समिति, को पत्र के साथ डाक टिकट लगा लिफाफा भेजकर प्रविष्टि का प्रारूप माँगा जा सकता है परन्तु प्रत्येक दशा में प्रविष्टि दिनांक 20 जनवरी, 2024 तक प्राप्त हो जानी चाहिए।
7. प्रविष्टि स्वीकार या अस्वीकार किये जाने तथा पुरस्कार दिये जाने के सम्बन्ध में अन्तिम निर्णय पुरस्कार हेतु गठित समिति द्वारा लिया जायेगा। जिन साहित्यकारों को पुरस्कार हेतु चयनित किया जायेगा उसकी सूचना, पत्र द्वारा दी जायेगी।
8. संस्थान द्वारा निर्धारित शर्तें यदि प्रविष्टिकर्ता द्वारा पूरी नहीं की जाती हंै तो प्रविष्टि भेजने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी होगी।
9. कार्यालय के पते पर जो पत्र भेजे जायें वे भारत सरकार के पोस्ट विभाग के माध्यम से भेजे जायें, कूरियर से न भेजे जायँ।