श्री तत्त्वार्थ सूत्र जी अध्याय - 6
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साता वेदनीय कर्म के आस्रव से क्या होता है?

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3.कौनसे जीव भूत की संज्ञा को प्राप्त हैं?

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5.दूसरे की पीड़ा को अपनी पीड़ा मानना क्या है?

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7.किसी के यहाँ इष्ट का वियोग होने पर उसके दुख को अपना दुख मानकर दूर करने का प्रयास करना क्या है?

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घर में झाड़ू पोंछा इस भाव से करना कि किसी जीव का वध ना हो जाये क्या है?

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व्रती दूसरों से दया की अपेक्षा रखता है ।

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11.बाधा आने पर उसे कर्म निर्जरा का हेतु कौन बनाता है?
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12.विशिष्ट पुण्य की प्राप्ति किससे होती है?

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13.भूतानुकम्पा एवं व्रत्यानुकम्पा दोनों समान हैं।

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14.बाढ़ प्रभावितों के घर से बेघर होने पर रहने का स्थान,खाने पीने का सामान आदि से मदद करना क्या है?

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15.रक्तदान करना कौनसा भाव है?
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