Revision Class 9.01अभ्यास
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1.आस्रव कितने प्रकार के होते हैं?

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2.संवर कितने प्रकार का होता है?
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3.नवमें अध्याय में किस तत्त्व का वर्णन है?
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4.निर्जरा किनकी होती है?
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5.कौनसे तत्त्व उपादेय हैं?
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6.ज्यों मोरी में डाट लगावे ,तब जल रुक जाता।यहाँ डाट लगाना किसकी ओर इंगित करता है?

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7.सबसे पहले संवर किसका होगा?

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8.मिथ्यात्व की प्रधानता से आनेवाले कर्मों का संवर किस गुणस्थान में होगा?
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9.मिथ्यात्व का संवर होने पर क्या छूटता है?
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10.मिथ्यात्व के संवर से कितनी प्रकृतियों का संवर होता है?
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11.बहिरात्मा का अर्थ क्या है?
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12.आत्मा कैसी होती है?
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13.देह एवं जीव को एक मानना क्या है?
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14.देह एवं जीव के अंतर को जानना क्या है?
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15.बहिरात्मा से परिवर्तित होकर पहले क्या बनना है?
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16.  तू चेतन अरु देह अचेतन ,यह जड़ तू ज्ञानी। ऐसा मानना क्या है?
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17. जीव पहले गुणस्थान में किसका संवर कर सकता है?
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18.  जीव ,अविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान में किसका संवर कर सकता है?
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19.  छठवें गुणस्थानवर्ती जीव के किसके कारण बंधने वाली कर्म प्रकृतियों का संवर होता है?
2 points
20. सातवें गुणस्थानवर्ती जीव के किसके कारण बँधनेवाली कर्म प्रकृतियों का संवर होता है?
2 points
21.  दसवें गुणस्थानवर्ती जीव के किसके कारण बँधनेवाली कर्म प्रकृतियों का संवर होता है?
2 points
22.  ग्यारहवें गुणस्थानवर्ती जीव के किसके कारण बँधनेवाली कर्म प्रकृतियों का संवर होता है?
2 points
23.  अयोग केवली के किसके कारण बँधनेवाली कर्म प्रकृतियों का संवर होता है?
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