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प्रेम वाहिनी (पुनर्स्मरण) - अध्याय - 24 प्रश्नावली
ॐ श्री साईं राम!
क्विज (प्रश्नोत्तरी)- प्रेम वाहिनी (पुनर्स्मरण) - प्रश्नावली
प्रिय साईं परिवार सदस्य, सप्रेम साईंराम! सारे भक्त/साधकों से , जो वाहिनी पारायण कर रहे हैं, अनुरोध है कि क्विज के द्वारा अपनी प्रज्ञा को पुनः तरोताजा कर लें। -श्री सत्या साईं वाहिनी पारायण टीम - हेल्पलाइन --
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1. वाणप्रस्थ जीवन हेतु कौन-कौन से धर्म निभाने चाहिए?
*
2 分
अ. 45-50 वर्ष की आयु में स्वगृह का त्याग
ब. पत्नी की अनुमति,भरण-पोषण का भार पुत्र पर, अथवा उसके माता-पिता पर छोड़कर,
स.पत्नी को भाई मानकर ब्रह्मचर्यव्रत पालन करें।
द. ईश्वर प्राप्ति में तीनों धर्माचरण अति आवश्यक हैं।
2. भोजन में कौन-कौन से महान् परिवर्तन कर लेने पड़ते हैं?
*
2 分
अ. कंद-मूल खाना, दुग्ध पान, अनाज को तृतीयांश ताप देकर
ब. पास-पड़ोस के गांव में जाकर भिक्षावृत्ति से भोजन प्राप्ति
स. वनाश्रम में आश्रितों को भोजन बांट कर स्वयं खाए
द. न संभव हो तो दूध और फल पर संतुष्ट रहना होगा।
इ. दूसरों की खुशी हेतु दिनचर्या नहीं बदलें।
वाणप्रस्थ आश्रम में पांचों नियम पालन जरूरी हैं।
3. चांद्रायण व्रत निर्वाह की विधि क्या है?
*
2 分
अ. माह के प्रथम पक्ष में प्रतिदिन सामान्य से एक-एक ग्रास कम भोजन करता जाए
ब. अगले पक्ष में उसी क्रम से भोजन प्रतिदिन बढ़ाता जाए।
स. शुक्ल पक्ष की द्वितीया और पूर्णिमा के दिन केवल मट्ठे का भोजन करे।
द. वर्षा में भींगकर तपस्या करनी चाहिए।
इ. शीत ऋतु में गीले वस्त्रों में तपस्या करनी चाहिए
ई. तपस्या करते हुए तीन बार स्नान करना चाहिए।
उ. रोगी होने पर अन्न त्याग, सिर्फ वायु जल ग्रहण
ऊ. अ-उ बिंदु तक कार्याचरण से मोक्षलाभ होगा।
4. सही जोड़ी का मिलान करें ---
2 分
अ. ज्ञान प्राप्ति --1. वासनाओं की इति, एकाग्रता प्राप्ति
ब. शारीरिक संयम से--2. सिद्धांत के साक्षात्कार से
स. उपनिषद के महावाक्यों का अनुभव--3. आंतरिक आत्म निरीक्षण का पहिया घूमेगा
द. बाह्यानुशासन पालन से -- 4. ज्ञान का प्रभात लाना
इ. बाह्याचरण के दिशा-निर्देश से---5. आभ्यांतरिक शुचिता का विकास
क. अ!2!ब!1!स!5!द!3!इ!4!
ख. अ!5!ब!4!स!3!द!2!इ!1!
ग. अ!4!ब!3!स!5!द!1!इ!2!
घ. अ!2!ब!1!स!4!द!5!इ!3!
च. अ!!3!ब!4!स!5!द!1!इ.2!
清除選取的項目
5. सही जोड़ी का मिलान करें ---
2 分
अ. आंतरिक पहियों का प्राण ---1. उनका अनुभव आनंद रूप में
ब. निर्देशक-चक्र का संबंध --2. आंतरिक मनोवृत्तियां आधीन
स. बाह्य वृत्तियों का नामरूप- 3. निर्देशन सीमा से बाहर नहीं
द.आंतरिक वृत्तियों का नाम-- 4. बाह्य पदार्थों का अनुभव
इ.बाह्य प्रवृत्तियों में संयम--5. सार तत्व
क.अ!5! ब!4! स!2! द!3! इ!1!
ख. अ!5! ब!3! स!4! द!1! इ!2!
ग. अ!2! ब!3! स!4! द!5! इ!1!
घ. अ!4! ब!3! स!2! द!5! इ!1!
च. अ!1! ब!2! स!3! द!4! इ!5!
清除選取的項目
6.निर्देशक-चक्र एक दिशा में घुमाया जाता है,पहिए दूसरी दिशा में घिसटने लगते हैं, परंतु ऐसा तो प्राकृतिक गुणों के अपनाने पर ही होता है।
*
2 分
अ. सही
ब. गलत
7. बाह्य व्यवहार का संबंध स्वाद, रूप और भार से होता है, अतः आचरण ही चिंता का विषय है।
*
2 分
अ. सही
ब. गलत
8. __,___का कोई स्वाद, रूप और भार नहीं होता है,__,__ भी ठीक वैसा ही, __, __ भी __ नहीं होता है।
*
2 分
अ. आंतरिक, वृत्तियां, जल, शुद्ध,भारी, कठोर,जल
ब. आंतरिक, वृत्तियां, शुद्ध, जल,जल, कठोर,भारी
स. आंतरिक, वृत्तियां, शुद्ध,जल, कठोर,जल,भारी
द. आंतरिक, वृत्तियां, शुद्ध, कठोर,जल,जल, भारी
9. सारी कठिनाई बाहरी व्यवहार को शुद्ध करने में होती है क्योंकि मन सांसारिक भ्रम और मायाजाल से गंदला रहता है, इनसे रहित मन को शुद्ध करने की जरूरत नहीं।
*
2 分
अ. सही
ब. गलत
यदि कोई सुझाव हो तो,
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10. योग और तपस्या क्या है?
*
2 分
अ. बाह्य वृत्तियों और भ्रमों को वश में करना
ब. वाणप्रस्थ धर्म पालन से सफलता और मोक्ष प्राप्ति
स. मानव मन माया रहित होना, एकाग्रता प्राप्ति
द. तीनों वाणप्रस्थ धर्मपालन उत्तम एवं लाभप्रद
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