सेवा में:
राष्ट्रपति जी , भारत।
द्वारा:
राज्यपाल जी , पंजाब।
श्रीमान,
निम्न विवरण के अनुसार मैं भारत का निवासी हूं और मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि देश की विभिन्न जेलों में बंद कई सिक्खों को उनकी सजा पूरी होने के बाद भी रिहा न करके उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। राजीव गांधी के हत्यारों को देश के कानून के अनुसार फाँसी की सजाएं दी गई, लेकिन उन्हें रिहा कर दिया गया। बिलकिस बानो के परिवार के हत्यारों और बलात्कारियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया है। फर्जी पुलिस मुठभेड़ में सिक्ख युवाओं की हत्या के आरोपी पुलिस अधिकारियों को सी.बी.आई अदालतों द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के कुछ समय बाद ही उन्हें रिहा कर दिया गया, लेकिन दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में सिरी गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर कुछ बंदी सिंघों की रिहाई के लिए जारी किया खुद का नोटिफिकेशन भी लागू नहीं किया। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। बंदी सिंघों की रिहाई के प्रति सरकार के नकारात्मक रवैये के कारण सिक्ख कौम में काफी आक्रोश है और इससे सरकार के प्रति अविश्वास पैदा हो रहा है। बंदी सिंघों का दोष केवल यह है कि उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सचखंड सिरी हरिमंदर साहिब और सिरी अकाल तख्त साहिब सहित कई गुरुद्वारों पर सैन्य हमलों, नवंबर 1984 में सिक्ख नरसंहार और निर्दोष सिक्खों पर किए गए दमन के रोष में संघर्ष का मार्ग चुना था। यह बंदी सिंघ कोई आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नहीं थे। उन्होंने धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने के कारण यह कदम उठाए थे।
सिक्ख कौम को इस बात का दुख है कि करीब तीन दशक से जेलों में बंद सिक्खों के मामलों को सरकार जानबूझकर लटका रही है। आजीवन कारावास से दोहरी सजा काट चुके बंदी सिंघों को रिहा न करना भी संविधान के खिलाफ है।
मैं बंदी सिंघों की रिहाई के लिए सिक्ख कौम द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का हिस्सा बनते हुए, विभिन्न जेलों में बंद सिंघों को तुरंत रिहा करने के लिए आप जी से हस्तक्षेप का अनुरोध करता/करती हूं।