भगवद् गीता प्रश्नोत्तरी- 161
☘️🌷जय श्री राम !! जय श्री कृष्ण !!🌷☘️
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भगवद् गीता में वर्णित उदाहरण/ उपमाएँ
भगवद् गीता में वर्णित 
उदाहरण/ उपमाएँ भाग -१ 

आज हम उन उपमाओं और उदाहरणों पर नज़र डालेंगे जिन्हें भगवान ने भगवद् गीता में योग के गहरे अर्थ को स्पष्ट रूप से समझाने के लिए उद्धृत किया है। भगवान के मुख कमल से निकले सभी उदाहरण/उपमाएँ सर्वश्रेष्ठ और आदर्श हैं जो हमें प्रबुद्ध करता है । इनमें से कुछ उदाहरण हमें बताते हैं कि इस सांसारिक जीवन में कैसे जीना चाहिए, कुछ हमें ईश्वर के अस्तित्व को समझाते हैं, कुछ हमारे संदेहों को दूर करते हैं। आइये उनमें से हर एक को देखते हैं।

 यावानर्थ उदपाने सर्वतः सम्प्लुतोदके। तावान्सर्वेषु वेदेषु ब्राह्मणस्य विजानतः 
॥2.46॥  

जैसे एक छोटे जलकूप का समस्त कार्य सहजता से सभी प्रकार से विशाल जलाशय से तत्काल पूर्ण हो जाता है, उसी प्रकार समान रूप से परम सत्य को जानने वाले, वेदों के सभी प्रयोजन को पूर्ण करते हैं।  

यदा संहरते चायं कूर्मोऽङ्गानीव सर्वशः। इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।2.58।।   
 जिस तरह कछुआ अपने अङ्गोंको सब ओरसे समेट लेता है, ऐसे ही जिस कालमें यह कर्मयोगी इन्द्रियोंके विषयोंसे इन्द्रियोंको सब प्रकारसे समेट लेता (हटा लेता) है, तब उसकी बुद्धि प्रतिष्ठित हो जाती है।   

इन्द्रियाणां हि चरतां यन्मनोऽनुविधीयते। तदस्य हरति प्रज्ञां वायुर्नावमिवाम्भसि।।2.67।।  

जो मन लगातार विषय-वस्तुओं पर ही ध्यान केन्द्रित करता है तथा इन्द्रियों के साथ ही घूमता रहता है, वह मनुष्य की विवेक-शक्ति को पूरी तरह नष्ट कर देता है। जिस प्रकार हवा ,नाव को उसके मार्ग से हटा देती है, उसी प्रकार मन भी साधक को उसके आध्यात्मिक मार्ग से हटाकइन्द्रियों के विषयों की ओर मोड़ देता है।  
आपका नाम *
1.   जब श्री कृष्ण और श्री बलराम ने अपनी शिक्षा पूरी होने पर गुरु संदीपनि से पूछा, 
"आप क्या दक्षिणा चाहते हैं?" 
इस पर गुरु मुस्कुराए।
 "आप जैसे उत्कृष्ट शिष्यों को पढ़ाने से जो खुशी मिलती है, उससे ज़्यादा मुझे और क्या चाहिए?" 
हालाँकि, श्री कृष्ण और उनके भाई ने ज़िद की। तब गुरु संदीपनि ने उनसे क्या गुरु दक्षिणा माँगी?
2 points
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2. आपका मन आपका ______ *
2 points
3. गीता के अनुसार भगवान कहते हैं जो मुझे _________ स्मरण करता है वह निस्संदेह मुझे प्राप्त करता है । *
2 points
4. निम्नलिखित में कौन सा लोक शाश्वत है? *
2 points
5. चार प्रकार के लोग भगवान की भक्ति में लीन होते हैं ? वे कौन हैं ? 
कृपया चार उत्तर चुनिए 
2 points
कृपया चार उत्तर चुनिए
कृपया चार उत्तर चुनिए
आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं  
समुद्रमापः प्रविशन्ति यद्वत्।  
तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वे  स शान्तिमाप्नोति न कामकामी
।।2.70।। 

 जैसे सम्पूर्ण नदियोंका जल चारों ओर से जलद्वारा परिपूर्ण समुद्र में आकर मिलता है, पर समुद्र अपनी मर्यादा में अचल प्रतिष्ठित रहता है ऐसे ही सम्पूर्ण भोग-पदार्थ जिस संयमी मनुष्य को विकार उत्पन्न किये बिना ही उसको प्राप्त होते हैं, वही मनुष्य परमशान्ति को प्राप्त होता है, भोगों की कामनावाला नहीं।
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