निर्देश ( प्र.स. 36-40 ) : दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़े और नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए । "समस्याओं का हल ढूँढ़ने की क्षमता पर एक अध्ययन किया गया । इसमें भारत में तीन तरह के बच्चों के बीच तुलना की गई- एक तरफ वे बच्चे जो दुकानदारी करते हैं पर स्कूल नहीं जाते , ऐसे बच्चे जो दुकान संभालते हैं और स्कूल भी जाते हैं और तीसरा समूह उन बच्चों का था जो स्कूल जाते हैं पर दुकान पर कोई मदद नहीं करते । उनसे गणना के व इबारती सवाल पूछे गए । दोनों ही तरह के सवालों में उन स्कूली बच्चों ने जो दुकानदार नहीं हैं , मौखिक गणना या मनगणित का प्रयोग बहुत कम किया , बनिस्नत उनके जो दुकानदार थे । स्कूली बच्चों ने ऐसी गलतियाँ भी की , जिनका कारण नहीं समझा जा सका । इससे यह साबित होता है कि दुकानदारी से जुड़े हुए बच्चे हिसाब लगाने में गलती नहीं कर सकते क्योंकि इसका सीधा असर उनके काम पर पड़ता है , जबकि स्कूलों के बच्चे वही हिसाब लगाने में अक्सर भयंकर गलतियाँ कर देते हैं । इससे यह स्पष्ट होता है कि जिन बच्चों को रोजमर्रा की जिंदगी में इस तरह के सवालों से जूझना पड़ता है , वे अपने लिए जरूरी गणितीय क्षमता हासिल कर लेते हैं । लेकिन साथ ही इस बात पर भी गौर करना महत्त्वपूर्ण है कि तरह की दक्षताएँ एक स्तर तक और एक कार्य - क्षेत्र तक सीमित होकर रह जाती हैं । इसलिए वे सामाजिक व सांस्कृति परिवेश जो कि ज्ञान को बनाने व बढ़ाने में मदद करते हैं , वही उस ज्ञान को संकुचित और सीमित भी कर सकते हैं ।" 36. अनुच्छेद के आधार पर कहा जा सकता है कि