अध्याय-7 अभ्यास : Revision 06
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1.अब्रह्म का भाव किस कर्म के उदय से होता है?
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2.मोहभाव किससे होता है?


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3.भावलिंग किसके साथ होता है?


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4.द्रव्य लिंग किसके साथ होता है?


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5.मिथ्या शल्य क्या होती है?


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6.निदान शल्य क्या है?


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7.पुण्य की आकांक्षा से मुनि बनना क्या है?


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8.पाँच पापों से विरति लेने वाला यदि शल्य से रहित नहीं है तो क्या वो व्रती कहलायेगा?


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9.आत्मा को कर्म से रहित कर शुद्ध बनाने की इच्छा रखने वाला ही तीन शल्यों को तोड़ सकता है । यह कथन


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10.किस भाव की गाढ़ता का नाम मूर्च्छा है?


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11.मूर्च्छा क्या है?


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12.कई सालों से घर खरीदने की इच्छा मन में है लेकिन अब तक खरीद नहीं सकी।क्या मुझे घर के परिग्रह का दोष लगेगा?


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13.घर में बहुत कम सामान है लेकिन जो नहीं है उसके सपने देखना क्या है?


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14.कुछ कपड़े बांटने के बाद भी उन कपड़ों से आसक्ति कम नहीं हुई तो क्या परिग्रह कम हुआ?


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15.सूत्र पूरा कीजिये “…….व्रती॥”


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16.शल्य अर्थात् 


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17.शल्य कितने प्रकार की होती है?


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18.शल्य कौनसी है?


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19.केवल पाँच पापों से विरति लेने वाला व्रती होता है ।यह कथन 


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20.क्या केवल शल्य से रहित व्रती होता है?


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21.व्रत लेने से समाज में प्रतिष्ठा होगी ,इस भाव से व्रत लेने वाला किससे सहित होता है?


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22.व्रत ग्रहण करने के बाद भी भीतर से विरति नहीं होती उन्हें क्या कहते हैं?


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23.अंतरंग में किस भाव के कारण अब्रह्म का भाव उत्पन्न होता है?
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24.अभ्यंतर परिग्रह कितने होते हैं?
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25.वेयराया अर्थात्
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26.प्रमत्त योगात् किसमें होता है?
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27.सूत्र पूरा कीजिये “……परिग्रहः॥”
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28.पाँचवाँ पाप कौनसा है?

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29.परिग्रह किसे कहते हैं?
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30.परिग्रह अर्थात् चारों ओर से ग्रहण करना। यह कथन 


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